Thursday, June 24, 2010

दादीमा

छोटी सी प्यारी सी अच्छी सी
दादीमा
सबका जो ध्यान रखे ऐसी है वो
दादीमा
छप्पन भोग बनाये ऐसी है वो
दादीमा
बच्चों के सिर में तेल लगाये
ऐसी है वो दादीमा
मेरे बालों में चोटी बनाये
ऐसी है वो दादीमा
क्यूँ चुप हो गयी हो अब
बोलो न कुछ दादीमा
मैं आई हूँ तुम्हारे पास
मुझे टोफ्फी क्यूँ नहीं देती दादीमा
आँखें तो खोली थी तुमने
तब मुझे क्या देखी थी तुम दादीमा
भगवान के घर चली गयी
और इस घर में हमें छोड़ गयी
क्या अब भी इस घर में
हमको तुम देखने आती हो दादीमा
हर पल तुम्हारा एहसास है
लगता है तू यहीं कहीं पास है
उसी बिस्तर पे खिड़की के पास
जैसे मुझे पुकार रही हो
मेरे बालों में चोटी बनाने के लिए...दादीमा

1 comment:

  1. So sweet... that's why you are feeling void. but you know what, a mother never dies-- whether ma or dadi ma. Btw, when did it happen?

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