छोटी सी प्यारी सी अच्छी सी
दादीमा
सबका जो ध्यान रखे ऐसी है वो
दादीमा
छप्पन भोग बनाये ऐसी है वो
दादीमा
बच्चों के सिर में तेल लगाये
ऐसी है वो दादीमा
मेरे बालों में चोटी बनाये
ऐसी है वो दादीमा
क्यूँ चुप हो गयी हो अब
बोलो न कुछ दादीमा
मैं आई हूँ तुम्हारे पास
मुझे टोफ्फी क्यूँ नहीं देती दादीमा
आँखें तो खोली थी तुमने
तब मुझे क्या देखी थी तुम दादीमा
भगवान के घर चली गयी
और इस घर में हमें छोड़ गयी
क्या अब भी इस घर में
हमको तुम देखने आती हो दादीमा
हर पल तुम्हारा एहसास है
लगता है तू यहीं कहीं पास है
उसी बिस्तर पे खिड़की के पास
जैसे मुझे पुकार रही हो
मेरे बालों में चोटी बनाने के लिए...दादीमा